है गंध हवाओं में
देखो पसरा है
ऋतुराज फिजाओं में
-राम सागर यादव
हो लगन अगर सच्ची
कुंदन-सी निखरे
हर एक विधा कच्ची
-सुधा राठौर
है सफर पहाड़ों का
सूरज की छुट्टी
मौसम है जाड़ों का
-डा० जगदीश व्योम
हे माँ तुम ही बोलो
दिखती राह नहीं
कुछ द्वार नए खोलो
-आशा पांडेय
हम तो बंजारे हैं
इत-उत फिरते हैं
औरों से न्यारे हैं
-शशि पाधा
हरियाली छाई है
ओढ़ हरी चुनरी
धरती इतराई है
-योगेन्द्र वर्मा
हम पंजाबी कुड़ियाँ
शोला हैं शोला
समझो मत फुलझड़ियाँ
-सुधा राठौर
हम प्रेमी परवाने
जीवन दे करते
उपकार न तू जाने
-सोनम यादव
हम माटी गुरु चंदन
शीश नवा कर हम
करते उनका वंदन
-सोनम यादव
हम दिल से मिलते हैं
वादे फूलों से
यादों में खिलते हैं
-सोनम यादव
हम उमड़े आये हैं
झोली में अपनी
जीवन जल लाये हैं
-अमिषा अनेजा
हिम्मत ना हारेंगे
नीड़ नया फिर से
हम मिल के बनाएँगे
-मधु गोयल
हलधर का श्रम चमके
बादल तू बरसे
माटी का मन महके
-अमिषा अनेजा
हो तुम तो मतवाले
मेरे जीवन के
पर तुम ही रखवाले
-रीमा दीवान चड्ढा
है तू मेरा माही
संग चलूँ तेरे
मैं बनकर हमराही
-सुधा राठौर
हर दर्द समेटे हैं
खुशबू बिखराते
हम खुद को मेटे हैं
-सोनम यादव
हाथों की लकीरों से
कह दो लिख देंगीं
किस्मत तदबीरों से
-विद्या चौहान
हेमंत-शिशिर बीते
अब बसंत कहता
क्यों प्रेम कलश रीते
-सोनम यादव
होते हैं बनजारे
चन्दा तारे भी
चल देते भिनसारे
-सुधा राठौर
हम चार पड़ोसी हैं
उनकी नजरों में
बस हम ही दोषी हैं
-अशोक शुक्ल