इतना न घमण्ड करो
गुण-अवगुण सब में
ईश्वर से तनिक डरो
-अमित खरे
बाँसों के झुरमुट में
मरुत बहे सुर में
झोंको के सम्पुट में
-अमित खरे
ये बात उजागर है
भूख बड़ी-छोटी
पर पेट बराबर है
-अमित खरे
बुनियादी बातों को
भूल गया मानव
रब की सौगातों को
-अमित खरे
कुछ रोज ठहर जाये
ठंड तनिक कम हो
फिर साल नया आये
-अमित खरे
कितना कुछ कर देखा
पर न मुझे तूने
अपने भीतर देखा
-अमित खरे
सरदी में अलबेली
सूरज कुहरे की
अल्हड़ सी अठखेली
-अमित खरे