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2024-03-04

बादल की आँखों से

बादल की आँखों से 
मोती बह-बह के 
लटके हैं शाखों से

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

बेटी मुस्कायेगी

बेटी मुस्कायेगी 
तब ही सच मानो 
घर लछमी आएगी 

-डॉ. नितीन उपाध्ये

आँचल में ओस भरे

आँचल में ओस भरे 
कलियाँ बाँट रहीं
प्यासे सारे भँवरे

-डॉ. नितीन उपाध्ये

जीना क्या घुट-घुट कर

जीना क्या घुट-घुट कर 
हँसते ही रहना 
इस दुनिया में अक्सर 

-डॉ. नितीन उपाध्ये

कलियों ने खिल-खिल के

कलियों ने खिल-खिल के
मौसम महकाया 
बगिया में हिलमिल के

-डॉ. नितीन उपाध्ये

आँचल लहराया है

आँचल लहराया है 
माँ ने बच्चों का 
माथा सहलाया है 

    -डॉ. नितीन उपाध्ये

बागों में झूले हैं

बागों में झूले हैं 
साजन सजनी को
फिर क्यों कर भूलें हैं

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

बदली घिर आई है

बदली घिर आई है 
कान्हा से कहना 
राधा अकुलाई है

    -डॉ. नितीन उपाध्ये