मन का आँगन महके
आने से तेरे
दिल पायल-सा खनके
-मधु गोयल
माँ भूख लगी भारी
पहले मुझको दे
फिर मिक्की की बारी
-मधु गोयल
जाओ दाना चुगने
फ़िक्र करो ना माँ
देंगे ना घर घुसने
-मधु गोयल
सुन्दर जग देखें तो
नील गगन में माँ
कुछ हम भी चहकें तो
-मधु गोयल
थोड़ा तो जाने दे
मिलकर मित्रों से
कुछ जी बहलाने दे
-मधु गोयल
माँ शोर मचाये क्यूँ ?
सोने दे थोड़ा
यूँ सुबह जगाये क्यूँ ?
-मधु गोयल
रुत जाड़े की आयी
तिल-गुड़, मेवा औ
मिष्टान्न कई लायी
-मधु गोयल
बासंती रुत आयी
ओढ़ चुनर धानी
वसुधा फिर इतरायी!
-मधु गोयल