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2024-03-01

शर्मीली गोरी है

शर्मीली गोरी है
नीले नयनों में
लज्जा की डोरी है

-शशि पाधा

नयनों में आँज लिये

नयनों में आँज लिये
प्रीत भरे आखर
गजरे में बाँध लिये

-शशि पाधा

खुशबू सौगात हुई

खुशबू सौगात हुई
धरती अम्बर में
फूलों की बात हुई

-शशि पाधा

पुरवा कुछ लाई है

पुरवा कुछ लाई है
पंखों से बाँधी
इक पाती आई है

-शशि पाधा

अब कैसे पहचानूँ

अब कैसे पहचानूँ
बरसों देखा ना
अब आओ तो जानूँ

-शशि पाधा

ये किसकी आहट है

ये किसकी आहट है
द्वारे खोल खड़ी
मिलने की चाहत है

-शशि पाधा

रंगों के मेले में

रंगों के मेले में
आँखें ढूँढ़ रहीं
चुपचाप अकेले में

-शशि पाधा

कोयल से पूछ ज़रा

कोयल से पूछ ज़रा
तेरे गीतों में
क्यों इतना दर्द भरा

-शशि पाधा

वासंती रुत आई

वासंती रुत आई
पाहुन आयो ना
मन-बगिया मुरझाई

         -शशि पाधा

कँगना कुछ बोल गया

कँगना कुछ बोल गया 
साँसें मौन रहीं
तन मन कुछ डोल गया 

-शशि पाधा

2024-01-08

अब बात बना ना यूँ

अब बात बना ना यूँ
इतनी प्यारी थी
परदेस भिजाई क्यूँ

-शशि पाधा

तू प्यारी प्राणों से

तू प्यारी प्राणों से
बिटिया पाई है
हमने वरदानों से

-शशि पाधा

यह कैसा नाता है

यह कैसा नाता है
सुख दुःख दोनों में
दिल माँ ही कहता है

-शशि पाधा