शर्मीली गोरी है
नीले नयनों में
लज्जा की डोरी है
-शशि पाधा
नयनों में आँज लिये
प्रीत भरे आखर
गजरे में बाँध लिये
-शशि पाधा
खुशबू सौगात हुई
धरती अम्बर में
फूलों की बात हुई
-शशि पाधा
पुरवा कुछ लाई है
पंखों से बाँधी
इक पाती आई है
-शशि पाधा
अब कैसे पहचानूँ
बरसों देखा ना
अब आओ तो जानूँ
-शशि पाधा
ये किसकी आहट है
द्वारे खोल खड़ी
मिलने की चाहत है
-शशि पाधा
रंगों के मेले में
आँखें ढूँढ़ रहीं
चुपचाप अकेले में
-शशि पाधा
कोयल से पूछ ज़रा
तेरे गीतों में
क्यों इतना दर्द भरा
-शशि पाधा
वासंती रुत आई
पाहुन आयो ना
मन-बगिया मुरझाई
-शशि पाधा
कँगना कुछ बोल गया
साँसें मौन रहीं
तन मन कुछ डोल गया
-शशि पाधा
अब बात बना ना यूँ
इतनी प्यारी थी
परदेस भिजाई क्यूँ
-शशि पाधा
तू प्यारी प्राणों से
बिटिया पाई है
हमने वरदानों से
-शशि पाधा
यह कैसा नाता है
सुख दुःख दोनों में
दिल माँ ही कहता है
-शशि पाधा