ज़ख्मी उसकी छाती
बाँसुरिया फिर भी
क्यों गान मधुर गाती
-सुधा राठौर
सूनी-सूनी रातें
याद बहुत आए
बातों की बारातें
-सुधा राठौर
गोरी के दो नैना
लूट गए मुझको
बिन बोले कुछ बैना
-सुधा राठौर
रूठे जो तुम सजना
भूल गए देखो
कंगना चूड़ी बजना
-सुधा राठौर
तम की पगड़ी काली
टाँक रहा चन्दा
मौरी हीरे वाली
-सुधा राठौर
तन माटी का पुतला
ढल ही जाना है
कितना भी हो उजला
-सुधा राठौर
साँसों की मणिमाला
आकर पल में ही
तोड़े यम मतवाला
-सुधा राठौर
सखियाँ मारें ताना
हाय,सहूँ कैसे
सावन का बौराना
-सुधा राठौर
यह जीवन का मेला
माया में खोया
यह दो पल का खेला
-सुधा राठौर
प्रेमी मन की भाषा
आँखें पढ़तीं हैं
साथी की अभिलाषा
-सुधा राठौर
बच्चों-सी नादानी
वृद्धावस्था को
करने दो मनमानी
-सुधा राठौर
हम पंजाबी कुड़ियाँ
शोला हैं शोला
समझो मत फुलझड़ियाँ
-सुधा राठौर
रंगत स्वर्णिम पायी
मतवाली सरसों
तब ही तो इठलायी
-सुधा राठौर
तन पर सौ-सौ पहरे
लेकिन मन-पाखी
कब एक जगह ठहरे!
-सुधा राठौर
सूरज से प्रीति करे
सूर्यमुखी इकटक
उसका ही दीद करे
-सुधा राठौर
माथे पर सलवट है
चिन्ता के वश में
बापू की करवट है
-सुधा राठौर
बचपन रूठा जबसे
निश्छल इक साथी
ढूँढे न मिला तबसे
-सुधा राठौर
गर फूलों से यारी
सहनी पड़ती है
काँटों की दुश्वारी
-सुधा राठौर
कण्डे सुलगाती है
सर्दी में माई
लिट्टी महकाती है
-सुधा राठौर
कुहरे के आँचल में
अलसाया सूरज
दुबका है बादल में
-सुधा राठौर