संतोष परम धन है
जग सारा नश्वर
माटी का ये तन है
-सोनम यादव
प्रभु का कर लें वंदन
जीवन माटी है
सुमिरन उसका चंदन
-सोनम यादव
नित पाठ नया सीखें
उर में ज्ञान भरें
लेखन में दम दीखे
-सोनम यादव
छिन पल बदले जीवन
भाव नये लेकर
अँखिया करती नर्तन
-सोनम यादव
बरखा, बरसो धीरे
प्यासा सारा जग
मिलना पनघट तीरे
-सोनम यादव
पनघट पर पनिहारी
जल भरने आयी
पनघट पर मन हारी
-सोनम यादव
मेघा झम झम बरसे
सागर राह तके
नदिया क्यों तू तरसे
-सोनम यादव
कुछ ऐसे दीप जलें
अंतस तम छूटे
सब मिलकर साथ चलें
-सोनम यादव
हम दिल से मिलते हैं
वादे फूलों से
यादों में खिलते हैं
-सोनम यादव
मत कर आना-कानी
वक्त घड़ी भर का
दो दिन की जिंदगानी
-सोनम यादव
मन क्यूँ भरमाया है
अपने सपने से
जो नेह लगाया है
-सोनम यादव
माँ गंगा की धारा
बूँद-बूँद छलके
जीवन का उजियारा
-सोनम यादव
नववर्ष पधारा है
पवन बसंती ने
फूलों से सँवारा है
-सोनम यादव
गुलज़ार करें गुलशन
जूही-बेला सी
बिटियाँ होतीं चंदन
-सोनम यादव
रंगोली-सी महके
घर में आँगन में
जब तक बिटिया चहके
-सोनम यादव
बेटी है मनभावन
पुरवा सावन की
पूजा-सी है पावन
-सोनम यादव
पनघट पर सखियाँ हों
कानाफूसी में
साजन की बतियाँ हो
-सोनम यादव
अभियान माहिया का
कितना रंगीला
परिधान माहिया का
-सोनम यादव
अभियान माहिया का
हर दिल ढूँढ रहा
सामान माहिया का
-सोनम यादव
ये पँचरंगी बाना
काहे मान करे
इसको है गल जाना
-सोनम यादव