भर-भर आँखें कहतीं
पास नहीं सजना
हर दम बातें करतीं
-डॉ. संजय सराठे
बदली घिर आई है
कान्हा से कहना
राधा अकुलाई है
-डॉ. नितीन उपाध्ये
ख़्वाबों में आते हो
आकर के मुझको
तुम खूब सताते हो
-तूलिका सेठ
आँखो में पानी है
बूझो तो जाने
हर शब्द कहानी है
-अनुपमा झा
माँ जल्दी आ जाओ
भूखे तड़प रहे
दाना चुनकर लाओ
-आराधना श्रीवास्तव
पत्ते लहराते हैं
बहती लहरों का
उत्साह बढ़ाते हैं
-ईप्सा यादव
राधा ने याद किया
बंसी धुन गूँजी
कृष्णा ने दरस दिया
-आनंद खरे
आँखों में इक मंज़र
टूटा-फूटा सा
जैसे कोई अंदर
-उमेश मौर्य
मछली रानी बोली
रंग बिरंगी हम
जल में खेले होली
-अजय कनोडिया
ये किसकी आहट है
द्वारे खोल खड़ी
मिलने की चाहत है
-शशि पाधा
जी भर के जिया तुमको
कोई शिकवा नहीं
अब विदा किया तुमको
-डा० कमला सिंह
ईंटा गारा पानी
घर तेरा मेरा
दीवारें-छत-छानी
-अविनाश बागड़े
था दूर बहुत खाना
आयी उड़-उड़कर
लाई ढेरों दाना
-आशा मोर
हम उमड़े आये हैं
झोली में अपनी
जीवन जल लाये हैं
-अमिषा अनेजा
सावन झूमे बरसे
तन को सुलगाए
मन विरहिन का तरसे
-जयंती कुमारी
माँ गंगा की धारा
बूँद-बूँद छलके
जीवन का उजियारा
-सोनम यादव
संदेश हवा लाये
उनके आँगन की
खुशबू बिखरा जाये
-प्रीति गोविन्दराज
धरती से रवि बोला
तुझसे क्या नाता
ना समझा मैं भोला
-सुधा राठौर
दूँगी सबको दाना
भूख लगी तुमको
हाँ, मैंने ये माना
-आभा खरे
दुनिया के मेले में
लाखों लोग मिलें
पड़ना न झमेले में
-अन्नदा पाटनी