2023-01-30

तन-ताल भरा पानी

तन-ताल भरा पानी
प्राणों की बाती
धीरे से जल जानी

-सोनम यादव

कैलाश बना बैठे

कैलाश बना बैठे 
वृक्ष शिखर पंछी 
हैं ध्यान लगा बैठे

-सोनम यादव

हर दर्द समेटे है

हर दर्द समेटे हैं 
खुशबू बिखराते 
हम खुद को मेटे हैं

-सोनम यादव

फूलों ने बात कही

फूलों ने बात कही
काँटों में रह कर 
हमने मुस्कान गही

-सोनम यादव

ॠतुओं की मनमानी

ॠतुओं की मनमानी 
चंदा करता है 
सागर की अगवानी  

-सोनम यादव

मोहन की दीवानी

मोहन की दीवानी 
भूल गयी मीरा
राणा की मेहमानी 

-सोनम यादव

बिटिया घर में गुंजन

बिटिया घर में गुंजन 
खुशियों की सरगम 
लौटाती है बचपन 

-सोनम यादव

बाती-सा खिल जाना

बाती-सा खिल जाना
 घी के सँग घुल कर
तिल-तिल कर जल जाना

-सोनम यादव 

नारी मत खुद की सुन

नारी मत खुद की सुन
दीपक बन जा, फिर 
अँधियारों में हो गुम

-सोनम यादव 

सचमुच है सरल नहीं

सचमुच है सरल नहीं 
जलना यादों में 
है मीठा गरल यहीं 

-सोनम यादव

कर लें उनका वंदन

कर लें उनका  वंदन 
जन्मदिया हमको 
पितरों का अभिनंदन 

-सोनम यादव

बहकाये मतवारी

बहकाये मतवारी 
दिन में रात करें 
ये अँखियाँ  कजरारी 

-सोनम यादव

इक नेह बँधा धागा

इक नेह बँधा धागा
अंतस को खींचे 
मुंडेरों पर कागा 

-सोनम यादव 

वो बाबुल की गलियाँ

वो बाबुल की गलियाँ 
मुस्काता बचपन 
खुशबू से भरीं कलियाँ 

-सोनम यादव

ये पावस की रैना

ये पावस की रैना
सावन-भादों से 
बरसे हैं ये नैना

-सोनम यादव

ये रुत पुरवाई की

ये रुत पुरवाई की
सावन के झूले 
औ याद विदाई की

-सोनम यादव

सागर क्यों शोर करें

सागर क्यों शोर करें 
शांत खड़े तट पर
चंदा ज्यों भोर करे

-सोनम यादव

सागर में छवि उतरी

सागर में छवि उतरी
झिलमिल लहरों में 
चाँदी की हो छतरी

-सोनम यादव

प्रेमी से पेड खड़े

प्रेमी से पेड खड़े 
सागर के तट पर 
अपनों से आज लड़े

-सोनम यादव

सागर की लहरों ने

सागर की लहरों ने 
पास बुलाया है 
भेजा है शहरों ने

-सोनम यादव

भँवरा तो आता है

भँवरा जब आता है
गुमसुम कलियों का
घूँघट खुलवाता है 

-डा. जगदीश व्योम

रंगों पर मत जाना

रंगों पर मत जाना
कोयल के सुर का
जग सारा दीवाना

-चन्द्रभान मैनवाल

छुपके चोरी-चोरी

छुपके चोरी-चोरी
सपनो में आके
करते वो बरजोरी
         
-प्रतिमा प्रधान

बूँदें हल्की-हल्की

बूँदें हल्की-हल्की
बरसे प्रेम-सुधा
नभ की गगरी छलकी

-प्रीति गोविंदराज

हाथों की लकीरों से

हाथों की लकीरों से
कह दो लिख देंगीं
किस्मत तदबीरों से

-विद्या चौहान

बाँसों के झुरमुट में

बाँसों के झुरमुट में
मरुत बहे सुर में
झोंको के सम्पुट में

-अमित खरे

मैं, मैं से है हारा

मैं, मैं से है हारा 
हम हो जाता तो 
बच जाता जग सारा 

-ममता मिश्रा 

बहती है पुरवाई

बहती है पुरवाई
महकाये मन को
उपवन की अमराई

-शिव मोहन सिंह

सुख-दुःख खोना-पाना

सुख-दुःख खोना-पाना
जीवन के ढब हैं 
हर ढब को अपनाना 

-आभा खरे

दिल ढूँढ रहा प्रियतम

दिल ढूँढ रहा प्रियतम
आन मिलो अब तो
मैं राह तकूँ हरदम

-राकेश गुप्ता

कितनी हैं बेदर्दी

कितनी हैं बेदर्दी 
दिल की सब बातें 
इन नैनों ने कह दी
 
-आभा खरे

क्या मोल नहीं मन का

क्या मोल नहीं मन का
साँसों पर निर्मित 
जीवन का ये मनका

-सोनम यादव 

जीवन की शाला में

जीवन की शाला में 
प्रेम पिरोते हैं 
शब्दों की माला में

-सोनम यादव

इक सुबह सुहानी हो

इक सुबह सुहानी हो 
सरगम होठों पर 
आँखों में पानी हो

-सोनम यादव

कैसे वो मुस्काये

कैसे वो मुस्काये 
मुख पे मास्क लगा 
नजरों से शरमाये 

-सोनम यादव

मन एक शिवाला है

मन एक शिवाला है 
पूजन है जिसका
वो भी मतवाला है

-बुशरा तबस्सुम

पल-पल बदले जीवन

पल-पल बदले जीवन
भाव नये लेकर
अँखिया करती नर्तन 

-सोनम यादव

हेमंत-शिशिर बीते

हेमंत-शिशिर बीते
अब बसंत कहता
क्यों प्रेम कलश रीते

-सोनम यादव

इक बात पुरानी है

इक बात पुरानी है 
बचपन ढूँढ रहा 
परियों की रानी है

-सोनम यादव

मन के ताने बाने

मन के ताने बाने 
आज मिलाये हैं 
कल बिखरेंगे दाने

-सोनम यादव 

सम्मान बहुत जीते

सम्मान बहुत जीते 
तमगे चमक रहे 
मन के घट हैं रीते

-सोनम यादव 

मन प्रेम रंग भीगे

मन प्रेम रंग भीगे 
अँखियों से बरसे 
साँसों की ले पींगे

-सोनम यादव

मन कृष्णा का हो ले

मन कृष्णा का हो ले
हरसे बरसाने-सा
वृन्दावन-सा डोले

-सोनम यादव

अँखियाँ जल बरसातीं

अँखियाँ जल बरसातीं 
हरष रहा जियरा 
आयी माँ की पाती

-सोनम यादव

नभ से हिम जल

नभ से हिम जल बरसे
पर्वत श्वेत हुए
सारी धरती हरसे

-सोनम यादव

विपदा की घड़ियाँ हैं

विपदा की घड़ियाँ हैं
सब्र ज़रा हो तो
अनुपम यह कड़ियाँ हैं

-निवेदिताश्री

नववर्ष मुबारक़ हो

नववर्ष मुबारक़ हो
स्वस्थ सभी जन हो
उन्नति का कारक हो

 -निवेदिताश्री

ये खबर सभी को है

ये खबर सभी को है
जाने सब जगती
तेरे मन में जो है

-दिव्या माथुर

तितली सी आती हो

तितली सी आती हो 
रंग खुशी के तुम 
घर में बिखराती हो 

-चित्रा गुप्ता

ये बात उजागर है

ये बात उजागर है
भूख बड़ी-छोटी
पर पेट बराबर है

-अमित खरे

धरती की सुनती हैं

धरती की सुनती हैं
बरखा की बूँदें
हरियाली बुनती हैं

-योगेन्द्र वर्मा

बुनियादी बातों को

बुनियादी बातों को
भूल गया मानव
रब की सौगातों को

-अमित खरे

कुछ रोज ठहर जाये

कुछ रोज ठहर जाये
ठंड तनिक कम हो
फिर साल नया आये

-अमित खरे

परदेस चले आये

परदेस चले आये
अपने लोगों को
दिल से न भुला पाये

-अरुन शर्मा

वो लाँघ मकर आया

वो लाँघ मकर आया
दिन छोटे- छोटे 
रातें लम्बी लाया

-सुधा राठौर

जागो अब मत सोना

जागो अब मत सोना
तंद्रा में रहकर
ये बरस नहीं खोना

-सुधा राठौर

इक लक्ष्य धरो मन में

इक लक्ष्य धरो मन में
पीछा करने का
उत्साह भरो तन में

-सुधा राठौर

इकजुटता है लानी

इकजुटता है लानी
बात किसी पे भी
ना हो खींचा तानी

-सुधा राठौर

इस दिल में रहते हो

इस दिल में रहते हो 
प्यार अगर है तो 
क्यों कुछ नहीं कहते हो

-डा० अर्चना पांडेय

प्रीतम की यादों में

प्रीतम की यादों में 
खोया मन मेरा
उन कसमे वादों में

-डा० अर्चना पाण्डेय

नववर्ष मिला हमको

नववर्ष मिला हमको 
स्वप्न तराशें हम 
खोयें ना अवसर को 

 -डा. सुरंगमा यादव

नैनों से झरते हैं

नैनों से झरते हैं 
तेरे ये आँसू
मन व्याकुल करते हैं 

-आभा खरे

अच्छा बहलाते हो

अच्छा बहलाते हो
यूँ बनकर भोले
झट मुझे गिराते हो

-प्रीति गोविन्दराज

अँखियों से बात करे

अँखियों से बात करे
सबके सम्मुख वो
अधरों पर मौन धरे

-सुधा राठौर

बन जाते हैं जोगी

बन जाते हैं जोगी
कह ऊँची बातें
ये वैभव के भोगी

-प्रीति गोविंदराज

बासन्ती आहट है

बासन्ती आहट है
उनसे मिलने की 
बेहद अकुलाहट है 

 -आर. बी. अग्रवाल

जाड़े का मौसम है

जाड़े का मौसम है
सर्दी के मारे
सूरज भी गुमसुम है 

-आलोक मिश्रा

होते हैं बनजारे

होते हैं बनजारे
चन्दा तारे भी
चल देते भिनसारे

-सुधा राठौर

फूलों की बस्ती में

फूलों की बस्ती में
भँवरा घूम रहा
अपनी ही मस्ती में

-विद्या चौहान

झूले में सावन के

झूले में सावन के
यादों की बूँदें
साजन मनभावन के

-योगेन्द्र वर्मा

विपदा है अति भारी

विपदा है अति भारी
संकट दूर करो
हे मोहन गिरधारी !

-डा. सूरजमणि स्टेला कुजूर

हम चार पड़ोसी हैं

हम चार पड़ोसी हैं
उनकी नजरों में
बस हम ही दोषी हैं

-अशोक शुक्ल

माही घर जाना है

माही घर जाना है
मंदिर तो समझो
बस एक बहाना है

-सुधा राठौर

बिन ज्ञान किसी धन का

बिन ज्ञान किसी धन का
होता मोल नहीं
सच है ये जीवन का

-सुधा राठौर

धन की अपनी महिमा

धन की अपनी महिमा
जिसके पास रहे
बढ़ती उसकी गरिमा 

-सुधा राठौर

जिस-जिस ने ज्ञान दिया

जिस-जिस ने ज्ञान दिया
सबको ही मैंने
अपना गुरु मान लिया

-आलोक मिश्रा

अनुराग बहुत गहरा

अनुराग बहुत गहरा
डूब गये कितने
फिर कौन यहाँ उबरा

-मीनाक्षी कुमावत मीरा

मुस्काती अखियों से

मुस्काती अखियों से
बाँधा जो नाता
कह दूँ क्या सखियों से

-प्रीति गोविंदराज

दुखती जोड़ें भूली

दुखती जोड़ें भूली
खेलूँ पोती सँग
थोड़ी साँसें फूलीं

-प्रीति गोविंदराज

कहना सच के दम पर

कहना सच के दम पर 
मानो ना मानो
रखना नेकी ऊपर

-मीनाक्षी कुमावत मीरा

भूखा बस यह जाने

भूखा बस यह जाने
रोटी की खुशबू 
लगती है बहकाने

-मीतू कानोडिया

गालों पे जो तिल है

गालों पे जो तिल है
उसमे जा अटका
पागल मेरा दिल है

-अरुन शर्मा

पग वासंती पाई

पग बासंती पाई  
वे गबरू जट्टा 
तू, बड्डा हरजाई 

-ममता शर्मा

पीली चूनर पाई

पीली चूनर पाई 
वे चंचल कुडिए     
मैं तेरा शैदाई

-ममता शर्मा

2023-01-25

बेदर्द जमाना

बेदर्द जमाना है
तेरी पीड़ा में
ये काम न आना है

  -राम सागर यादव

आँखों में बसते हैं

आँखों में बसते हैं
सपने जीवन के
हम-आप तरसते हैं

 -राम सागर यादव

ये पूरब की लाली

ये पूरब की लाली
मिटा गयी इसको
फिर से रजनी काली

-राम सागर यादव

दिन-रात बरसते हैं

दिन-रात बरसते हैं
मेरे ये नैना
साजन में बसते हैं

  -राम सागर यादव

ये पूनम की रातें

ये पूनम की रातें
याद दिलाती हैं
वे यौवन की बातें

 -राम सागर यादव

रोशन घर-द्वार किये

रोशन घर-द्वार किये
बेटी ने देखो
आँगन गुलजार किये

-राम सागर यादव

त्यौहार अनूठा है

त्यौहार अनूठा है
करवा का, चंदा
अब रूठा-रूठा है

-राम सागर यादव

कितना अफसोस बड़ा

कितना अफसोस बड़ा
भूखा आज यहाँ
जग का भगवान पड़ा
  
-राम सागर यादव

कितना कुछ कर देखा

कितना कुछ कर देखा
पर न मुझे तूने
अपने भीतर देखा

-अमित खरे

पतझड़ की आहट है

पतझड़ की आहट है
जर्जर पत्तों के
दिल में घबराहट है

-सुधा राठौर

दरिया जब घबराये

दरिया जब घबराये 
अपना व्याकुल मन
लहरों सँग बहलाये

-ममता मिश्रा

हल्दी सरसों उबटन

हल्दी सरसों उबटन
धानी चूनर में
लगती वसुधा दुलहन

-सुधा राठौर

मकरस्थ हुआ दिनकर

मकरस्थ हुआ दिनकर 
माँ की खिचड़ी की 
खुशबू आयी दिनभर

-मीतू कानोडिया

भारत के सेनानी

भारत के सेनानी
शौर्य देख इनका
दुश्मन माँगे पानी

-मीतू कानोडिया 

अमराई बौराई

अमराई बौराई
सेमल की कलियाँ
लेती हैं अँगड़ाई

-सुधा राठौर

अम्बर, सागर, धरती

अम्बर, सागर, धरती
सूरज और हवा
इनसे दुनिया सजती

-आलोक मिश्रा

जीवन के खेले में

जीवन के खेले में
फँसे हुए हम सब
हैं इसी झमेले में

-आस्था देव 

दाना चुगने आतीं

दाना चुगने आतीं
भिनसारे छत पर
चिड़ियाँ भैरव गातीं

-सुधा राठौर,

रातों के सन्नाटे

रातों  के  सन्नाटे
विरहन अँखियों ने
गिन-गिनकर ही काटे

-योगेन्द्र वर्मा

हम जान नहीं पाये

हम जान नहीं पाये
दिल झूठा उनका
सच कह के पछताये

-प्रीति गोविंदराज

कट जाती हैं रातें

कट जाती हैं रातें
चन्दा-चंदनियाँ
जब करते हैं बातें

-सुधा राठौर

ट्यूलिप का मौसम है

ट्यूलिप का मौसम है 
चारों ओर यहाँ 
रंगों का आलम है 

-ममता मिश्रा 

गुरुओं को वंदन है

गुरुओं को वंदन है 
गुरु का दिन आया 
शत-शत अभिनंदन है 

-ममता मिश्रा 

जाड़े की रुत आयी

जाड़े की रुत आयी 
कुहरे की चादर
धरती को पहनायी

-सोनम यादव

लम्हा है हर भारी

लम्हा है हर भारी
यादों में आती
बचपन की किलकारी

-डा. सूरजमणि स्टेला कुजूर

रुत जाड़े की आयी

रुत जाड़े की आयी
तिल-गुड़, मेवा औ 
मिष्टान्न कई लायी

-मधु गोयल

सरदी में अलबेली

सरदी में अलबेली
सूरज कुहरे की
अल्हड़ सी अठखेली

-अमित खरे

दिन सर्दी के आये

दिन सर्दी के आये
अलसायी धरती
सूरज भी कुम्हलाये

-जयंती कुमारी

सूरज की डोली में

सूरज की डोली में
नूतन आशा हैं
किरणों की झोली में 

-सुधा राठौर

सर्दी हो गर्मी हो

सर्दी हो गर्मी हो
साथ निभे जब तक
लहज़े में नर्मी हो

  -निवेदिताश्री

बासंती रुत आयी

बासंती रुत आयी
ओढ़ चुनर धानी
वसुधा फिर इतरायी!

-मधु गोयल

तम से क्या घबराना

तम से क्या घबराना
कौन सदा रहता
जग है आना-जाना
   
-चन्द्रभान मैनवाल

जो जल न बचाएँगे

जो जल न बचाएँगे
अपनी संतति को
कल क्या दे पायेंगे

-विद्या चौहान

हर मोड़ पे मिल जाते

हर मोड़ पे मिल जाते
रोज नये साथी
कितने हैं निभा पाते

-मीनाक्षी कुमावत मीरा