2024-03-05

तारा कोई टूटा

तारा कोई  टूटा
क्या माँगें उससे
उसका ही घर छूटा

    -अविनाश बागड़े

जब सूरज ढल जाए

जब सूरज ढल जाए
साँझ अटारी पे
चंदा मिलने आए

        -विद्या चौहान

शाखों पर पुष्प नए

शाखों  पर पुष्प नए
पतझड़ वाले दिन 
लगता  है  बीत  गए

        -शिव मोहन सिंह

अति दूर किनारा है

अति दूर किनारा है
जीवन नैया का
तू खेवनहारा है

        -सुधा राठौर

मुँह ढँककर सोया है

मुँह ढँककर सोया है
सूरज बेचारा
बादल में खोया है

        -सुधा राठौर

आये मेरे सजना

आये मेरे सजना
महक उठा फिर से
मेरे मन का अँगना

    -डॅा. राम कुमार माथुर

बरसातें बीत गईं

बरसातें बीत गईं
आये ना साजन
ये अँखियाँ रीत गईं

        -अमित खरे

धरती का ये आंचल

धरती का ये आंचल
भीगा-भीगा सा
छूकर निकला बादल

    -अविनाश बागड़े

माई को जब देखा

माई को जब देखा
कहती है दुनिया
हमने तो रब देखा

        -अविनाश बागड़े

हो लगन अगर सच्ची

हो लगन अगर सच्ची
कुंदन-सी निखरे
हर एक विधा कच्ची

        -सुधा राठौर

बोली में मिसरी है

बोली में मिसरी है 
सरल सहज हिन्दी 
अमिरत की गगरी है

        -आभा खरे

कितने भी हों पहरे

कितने भी हों पहरे
आकर फूलों से
करते बातें भँवरे

        -डॉ. मंजू यादव

सपनों के गाँव-गली

सपनों के गाँव-गली 
पलकों को मींचे 
निंदिया की नाव चली

    -आभा खरे

ऐसे बदला मौसम

ऐसे बदला मौसम 
स्वेटर उतर गए
गर्माया है आलम 

        -रेखा राजवंशी

बासंती पुरवाई

बासंती पुरवाई 
गंध गुलाबों की 
अपने संग ले आई 

        -रेखा राजवंशी

सावन का महीना है

सावन का महीना है 
झूले के ऊपर 
इक शोख़ हसीना है 

        -रेखा राजवंशी

क्यों पीछा करते हो

क्यों पीछा करते हो
क्या घर बार नहीं
आवारा फिरते हो !

    -अमित खरे

बूँदें जो झरतीं हैं

बूँदें जो झरतीं हैं 
आँखों की झीलें
हमसे ही भरतीं हैं 

    -शशि पाधा

क्यों रोज़ सताते हो

क्यों रोज़ सताते हो
इक पल दिख जाते
दूजे छिप जाते हो 

        -शशि पाधा

बाजे खन-खन कँगना

बाजे  खन-खन कँगना
साजन आये  हैं
नाचूँ मैं घर-अँगना

    -योगेन्द्र वर्मा

छत पर तेरा आना

छत पर तेरा आना
नींद उड़ा जाए
पायल का खनकाना

    -सुधा राठौर

बूढ़ी काया रोये

बूढ़ी काया रोये
छोड़ गए बच्चे
जर्जर तन दुख ढोये

    -सुधा राठौर

रातें करती उजली

रातें करती उजली
इसकी कदर करो
एक शक्ति है बिजली

    -अमित खरे

पेड़ों की बात सुनों

पेड़ों की बात सुनों 
कहते क्या हमसे 
इनके जज्बात बुनो

        -अनुपमा झा

बरसात सुहानी है

बरसात सुहानी है
सावन ऋतु देखो
बस पानी पानी है

        -अविनाश बागड़े

धूँ-धूँ जल जाना है

धूँ-धूँ जल जाना है 
माटी का पुतला
माटी हो जाना है

    -ममता मिश्रा

ये मौन हमारा है

ये मौन हमारा है
मत ज्यादा बोलो
बस एक  इशारा है

    -अविनाश बागड़े

गुरु-ज्ञान ख़ज़ाना है

गुरु-ज्ञान ख़ज़ाना है
जिसने भी पाया
जीवन को जाना है

        -सुधा राठौर

माँ ऐसी होती है

माँ ऐसी होती है
बच्चों की खातिर
गीले में सोती है
  
    -डॉ. मंजू यादव

दिल तोड़ गया सपना

दिल तोड़ गया सपना
निंदिया भागी यूँ
ज्यों रूठ गया अपना

     -डॉ. मंजू यादव

दिन कैसा ये आया

दिन कैसा ये आया
साथ नहीं कोई
केवल अपना साया

    -विद्या चौहान

दीपक की ज्योति जली

दीपक की ज्योति जली
जुगनू भी चमके
 महकी ये रात कली 

        -पूनम मिश्रा 'पूर्णिमा'

दुनिया का मेला है

दुनिया का मेला है 
इतने लोग मगर 
हर व्यक्ति अकेला है 

    -रेखा राजवंशी 

दिल सागर जैसा है

दिल सागर जैसा है
मिल जावें नदियाँ
माही तू ऐसा है

-शेख़ शहज़ाद उस्मानी

दुनिया के मेले में

दुनिया  के मेले में
सपने खोज रहे
हम आप अकेले में

    -पूनम मिश्रा पूर्णिमा 

दो रोज जवानी है

दो रोज जवानी है
इठला मत पगले
इक दिन उड़ जानी है

        -ईप्सा यादव

अभिनंदन करती हूँ

अभिनंदन करती हूँ
गुरु-चरणों मे मैं
शत-वंदन करती हूँ

-मधु गोयल

2024-03-04

आँखों को बहने दो

आँखों को बहने दो
मन की कुछ बातें
मन में ही रहने दो

        -शिव मोहन सिंह

पीड़ा को सहने दो

पीड़ा को सहने दो
चिर विरहिन प्यासी
प्यासा ही रहने दो

        -शिव मोहन सिंह

पलकों को गिरने दो

पलकों को गिरने दो
सो जाऊँ जब मैं
नीदों को सपने दो

        -शिव मोहन सिंह

छत पर चहकी चिड़िया

छत पर चहकी चिड़िया
भोर हुई साथी
अब आये न निंदिया

          -डा० मंजू यादव

सब सुख मंगल छाये

सब सुख मंगल छाये
माता से मिलने
गणपति थे घर आये!

-मधु गोयल

भोली सूरत वाले

भोली सूरत वाले
होते हैं अक़्सर
वो अंतस के काले

        -सुधा राठौर

भोग्या न समझ माही

भोग्या न समझ माही
लक्ष्मी हूँ घर की
मैं तेरी हमराही

        -निवेदिताश्री

ख़त लिख दो साँवरिया

ख़त लिख दो साँवरिया
बिरहा में तेरे
मैं हो गई बावरिया

        -मधु गोयल

पुस्तक में गुल सूखा

पुस्तक में गुल सूखा
याद दिलाता है
माही कोई रूखा

     -निवेदिताश्री

वो बेरी की झाड़ी

वो बेरी की झाड़ी
जोरा जोरी में
सखि उलझ गई साड़ी

        -सुधा राठौर

पीली-पीली सरसों

पीली-पीली सरसों 
ओ मनहर मितवा 
हम संग रहें बरसों

        -ममता शर्मा

सरदी का अंत हुआ

सरदी का अंत हुआ
सब्ज़ पलाशों पर
असवार बसंत हुआ

        -अमित खरे

बासन्ती ऋतु आयी

बासन्ती ऋतु आयी
लाल पलाश खिले
वृक्षों पे तरुणाई

        -अरुन शर्मा

पीपल की छाया-सी

पीपल की छाया-सी
 माँ की ममता है
 दुख-सुख में साया-सी

        -मीनाक्षी कुमावत मीरा

ज़ख्मी उसकी छाती

ज़ख्मी उसकी छाती
बाँसुरिया फिर भी
क्यों गान मधुर गाती

        -सुधा राठौर

विद्या तो दौलत है

विद्या तो दौलत है 
दामन में अपने 
गुरुओं की बदौलत है

        -ममता मिश्रा 

संदेशे जो लाएँ

संदेशे जो लाएँ
सुखद हवाएँ वो
मन शीतल कर जाएँ

        -शर्मिला चौहान

जल भर-भर के लाते

जल भर-भर के लाते 
उमड़ घुमड़ बदरा
सबके मन हर जाते

        -चन्द्रभान मैनवाल

कागा बोले जम के

कागा बोले जम के
आएगा कोई
देखो थोड़ा थम के

        -अविनाश बागड़े

क्या मेरी उलझन है

क्या मेरी उलझन है 
कैसे तू समझे 
जब तुझसे अनबन है

        -तूलिका सेठ

भारत में अभिनंदन

भारत में अभिनंदन
वीर सपूतों का
अब देश करे वंदन

        -तूलिका सेठ

लो कैसे जाएँगे

लो कैसे जाएँगे
डोरी प्रीत भरी
हम तोड़ न पाएँगे 

   -शशि पाधा

सावन को जाने दो

सावन को जाने दो
तुम तो रुक जाना
त्योहार मनाने दो 

        -शशि पाधा

दर्पण सच कहता है

दर्पण सच कहता है
मान लिया लेकिन
पूरा कब कहता है

        -तनवीर आलम

है सफर पहाड़ों का

है सफर पहाड़ों का
सूरज की छुट्टी
मौसम है जाड़ों का 

        -डा० जगदीश व्योम

सूनी-सूनी रातें

सूनी-सूनी रातें
याद बहुत आए
बातों की बारातें

        -सुधा राठौर

मेहंदी रंग लाएगी

मेहंदी रंग लाएगी
देख हथेली को
दुल्हन मुस्काएगी

        -अविनाश बागड़े

भर-भर आँखें कहतीं

भर-भर आँखें कहतीं 
पास नहीं सजना
हर दम बातें करतीं

        -डॉ. संजय सराठे

गोरी के दो नैना

गोरी के दो नैना
लूट गए मुझको
बिन बोले कुछ बैना

        -सुधा राठौर

जब-जब पानी बरसा

जब-जब पानी बरसा
रात अकेले में
तब-तब मन ये तरसा

        -अविनाश बागड़े

जीवन की ये गाड़ी

जीवन की ये गाड़ी 
सुख-दुख हैं डिब्बे  
चलती सीधी-आड़ी

        -पूनम मिश्रा 'पूर्णिमा'

रूठे जो तुम सजना

रूठे जो तुम सजना
भूल गए देखो
कंगना चूड़ी बजना

        -सुधा राठौर

तम की पगड़ी काली

तम की पगड़ी काली
टाँक रहा चन्दा
मौरी हीरे वाली

        -सुधा राठौर

हे माँ तुम ही बोलो

हे माँ तुम ही बोलो
दिखती राह नहीं
कुछ द्वार नए खोलो

        -आशा पांडेय

तन माटी का पुतला

तन माटी का पुतला 
ढल ही जाना है 
कितना भी हो उजला

        -सुधा राठौर

कुछ दिन का बाना है

कुछ दिन का बाना है
मन पावन कर ले
अब घर को जाना है

        -निवेदिताश्री

जग दो दिन का मेला

जग दो दिन का मेला
साँस चले जब तक 
सुख-दुःख का है खेला

        -आभा खरे

बेटी की है डोली

बेटी की है डोली 
खाली कर जाती 
माँ-बाबा की झोली 

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

बादल की आँखों से

बादल की आँखों से 
मोती बह-बह के 
लटके हैं शाखों से

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

बेटी मुस्कायेगी

बेटी मुस्कायेगी 
तब ही सच मानो 
घर लछमी आएगी 

-डॉ. नितीन उपाध्ये

आँचल में ओस भरे

आँचल में ओस भरे 
कलियाँ बाँट रहीं
प्यासे सारे भँवरे

-डॉ. नितीन उपाध्ये

जीना क्या घुट-घुट कर

जीना क्या घुट-घुट कर 
हँसते ही रहना 
इस दुनिया में अक्सर 

-डॉ. नितीन उपाध्ये

कलियों ने खिल-खिल के

कलियों ने खिल-खिल के
मौसम महकाया 
बगिया में हिलमिल के

-डॉ. नितीन उपाध्ये

आँचल लहराया है

आँचल लहराया है 
माँ ने बच्चों का 
माथा सहलाया है 

    -डॉ. नितीन उपाध्ये

बागों में झूले हैं

बागों में झूले हैं 
साजन सजनी को
फिर क्यों कर भूलें हैं

        -डॉ. नितीन उपाध्ये

बदली घिर आई है

बदली घिर आई है 
कान्हा से कहना 
राधा अकुलाई है

    -डॉ. नितीन उपाध्ये

यह देह पुरानी है

यह देह पुरानी है
बखिया तुरपन कर
कुछ और चलानी है

  -निवेदिताश्री

पहने बूँदें-पायल

पहने बूँदें-पायल
छम-छम नाच रहीं 
मन विरहन का घायल !

        -त्रिलोचना कौर

अदभुत ये शाला है

अदभुत ये शाला है
इसमें पढ़ने का
अनुभव ही निराला है

        -अमित खरे

दिल को काबू कर लो

दिल को काबू कर लो
अच्छी सोच रखो
ढ़ेरों खुशियाँ भर लो

    -डॉ. रेशमा हिंगोरानी

इस कदर उदासी हैं

इस कदर उदासी हैं
ताज़ी खुशियाँ भी
लगती अब बासी हैं

        -अमित खरे

आलस ऐसा आता

आलस ऐसा आता
कुछ भी करने का
साहस न जुटा पाता

    -अमित खरे

कैसी ये ऋतु आई

कैसी ये ऋतु आई
बगिया में देखो 
फैली है तरुणाई

        -आभा खरे

2024-03-03

जीना मुश्किल तुम बिन

जीना मुश्किल तुम बिन 
आ भी जाओ ना 
अब बीते दिन गिन-गिन 

        -तूलिका सेठ

ख़्वाबों में आते हो

ख़्वाबों में आते हो
आकर के मुझको 
तुम खूब सताते हो

        -तूलिका सेठ

आँखों में भर लेंगे

आँखों में भर लेंगे
तुझको मोती सा
पलकों में जड़ लेंगे 
      
        -शशि पाधा

यह बात तभी जानूँ

यह बात  तभी जानूँ
मन के आँचल में
छिप पाओ तो मानूँ 

            -शशि पाधा

यह खेल पुराना है

यह खेल पुराना है
आँख मिचौनी को
प्रेमी ने जाना है 

        -शशि पाधा

हम तो बंजारे हैं

हम तो बंजारे हैं
इत-उत फिरते हैं
औरों से न्यारे हैं 

        -शशि पाधा

सावन घर आया हैं

सावन घर आया हैं 
थैंला बूँदों का
काँधे रख लाया हैं !

           -त्रिलोचना कौर

जुगनू फिर चमके हैं

जुगनू फिर चमके हैं
साँझ सुरमई के
कोने लो महके हैं

        -अविनाश बागड़े

हरियाली छाई है

हरियाली छाई है
ओढ़ हरी चुनरी
धरती इतराई है

        -योगेन्द्र वर्मा

सावन के ये झूले

सावन के ये झूले
याद दिलाते हैं
लम्हे जो हम भूले

        -योगेन्द्र वर्मा

बिजली से जीवित हैं

बिजली से जीवित हैं
फ्रिज, कूलर, ऐसी
कम्प्यूटर उर्जित हैं

        -अमित खरे

कैसा दिन आया है

कैसा दिन आया है 
मीलों कोई नहीं 
सन्नाटा छाया है

        -ममता मिश्रा

सुनने दो कहने दो

सुनने दो कहने दो
जख्मों पर मरहम 
बातों की रखने दो

        -शिव मोहन सिंह

साँसों की मणिमाला

साँसों की मणिमाला
आकर पल में ही
तोड़े यम मतवाला

        -सुधा राठौर

सूरज जब आता है

सूरज जब आता है
वसुधा पर मेरी
खुशहाली लाता है

        -अविनाश बागड़े

सखियाँ मारें ताना

सखियाँ मारें ताना 
हाय,सहूँ कैसे
सावन का बौराना

        -सुधा राठौर

उड़-उड़कर तुम आतीं

उड़-उड़कर तुम आतीं
फूलों को छूकर
क्या बातें कर जातीं

        -डा. सूरजमणि स्टेला कुजूर

इस दिल का लुट जाना

इस दिल का लुट जाना
देख ले न कोई
बन जाए न अफसाना

        -अनुपमा झा

आँखो में पानी है

आँखो में पानी है
बूझो तो जाने
हर शब्द कहानी है

        -अनुपमा झा

आहट जब भी आये

आहट जब भी आये
समझूँ ये मन में
वो मिलने को आये

        -मधु गोयल

अँखियों की बात चली

अँखियों की बात चली
अधर न तनिक हिले
अलकों में रात ढली 

        -अमित खरे

तितली उड़ के जाना

तितली उड़ के जाना
पौधे हैं जीवन 
मानुष को समझाना 

        -बुशरा तबस्सुम

बदला ये मौसम है

बदला ये मौसम है 
धूल भरे वन में 
डरता मेरा मन है

        -बुशरा तबस्सुम

बारिश तो भाती है

बारिश  तो भाती है 
धूल लगी जो तन 
उसको धो जाती है

        -बुशरा तबस्सुम

यह जीवन का मेला

यह जीवन का मेला
माया में खोया
यह दो पल का खेला

        -सुधा राठौर

बूटे पर फूल खिला

बूटे पर फूल खिला
गुलशन है महका
तितली का संग मिला

    -बुशरा तबस्सुम

तितली से गुल बोला

तितली  से गुल बोला 
भाता है तेरा 
रंगों वाला चोला 

    -बुशरा तबस्सुम

तेरे ना आने से

तेरे ना आने से
हो जाती चिन्ता
ना जाने किस भय से

    -आर. बी. अग्रवाल

तुम मेरे बच्चे हो

तुम मेरे बच्चे हो 
ले लूँ आँचल में 
दुनिया से अच्छे हो
           
        -आशा मोर

वो देखो माँ आयी

वो देखो माँ आयी
चोंच भरी उनकी 
दाना चुगकर लायी 

         -आराधना श्रीवास्तव

माँ अब तक ना आयी

माँ अब तक ना आयी
शाम हुई अब तो
बदरी भी है छायी

-आराधना श्रीवास्तव

माँ जल्दी आ जाओ

माँ जल्दी आ जाओ
भूखे तड़प रहे
दाना चुनकर लाओ
      
        -आराधना श्रीवास्तव

ममता की बूँद झरी

ममता की बूँद झरी 
माँ तो  नित भरती
झोली आशीष भरी

        -शशि पाधा

घर रौनक छाई हैं

घर रौनक छाई हैं 
बचपन की गुड़िया 
माँ के घर आई हैं !!

          -त्रिलोचना कौर

जिस दिल में न हों राधा

जिस दिल में न हों राधा
साँसें तो पूरीं
लेकिन जीवन आधा

    -आनन्द पाठक

राही इक पथ के हम

राही इक पथ के हम 
साथ रहें हर पल 
ख़ुशियाँ हों या हो ग़म

        -आभा खरे

पत्ते लहराते हैं

पत्ते लहराते हैं
बहती लहरों का
उत्साह बढ़ाते हैं

        -ईप्सा यादव

राधा ने याद किया

राधा ने याद किया
बंसी धुन गूँजी
कृष्णा ने दरस दिया

        -आनंद खरे

अंकुर बन कर फूटी

अंकुर बन कर फूटी
मेरे मानस में
बन जीवन की बूटी

-डॅा. सूरजमणि स्टेला कुजूर

बादल बरसे काले

बादल बरसे काले
प्यासी धरती को
जीवन देने वाले

    -डॅा. सूरजमणि स्टेला कुजूर

ये कैसा समय आया

ये कैसा समय आया 
अपने ग़ैर बने 
ग़ैरों ने अपनाया

         -मीनू खरे

ऋतु सोहर गाती हैं

ऋतु सोहर गाती हैं 
चिड़िया बच्चों को 
जीना सिखलाती हैं !

        -त्रिलोचना कौर

सारी खेती-बाड़ी

सारी खेती बाड़ी
मेघ नहीं आए
लो चूक गई गाड़ी

        -अविनाश बागड़े

आँखों ही आँखों में

आँखों ही आँखों में 
हम दिल दे बैठे 
बातों ही बातों में

    -आलोक मिश्रा

टूटे दिल जुड़ जाएँ

टूटे दिल जुड़ जाएँ
शक्ति कलम को दो
कुछ ऐसा लिख पाएँ   
    
        -निवेदिताश्री

प्रेमी मन की भाषा

प्रेमी मन की भाषा
आँखें पढ़तीं हैं
साथी की अभिलाषा

        -सुधा राठौर

बच्चों सी नादानी

बच्चों-सी नादानी
वृद्धावस्था को
करने दो मनमानी

        -सुधा राठौर

मेघों के ढोल बजे

मेघों के ढोल बजे
बूंदों के घुँघरू
खेतों में नाच उठे

        -अरुन शर्मा

हम पंजाबी कुड़ियाँ

हम पंजाबी कुड़ियाँ
शोला हैं शोला
समझो मत फुलझड़ियाँ

        -सुधा राठौर

रंगत स्वर्णिम पायी

रंगत स्वर्णिम पायी
मतवाली सरसों
तब ही तो इठलायी

        -सुधा राठौर

तन पर सौ-सौ पहरे

तन पर सौ-सौ पहरे
लेकिन मन-पाखी
कब एक जगह ठहरे!

        -सुधा राठौर

आँखों में रात ढली

आँखों में रात ढली 
छत के पर्दे पर 
यादों की रील चली

    -ममता मिश्रा

पौधों पर फूल खिले

पौधों पर फूल खिले
अब फल आने के
सुन्दर सन्देश मिले 

      -आलोक मिश्रा

प्रीतम मुरली वाला

प्रीतम मुरली वाला 
प्रेम पगी मीरा 
पी लेती विष प्याला

    -ममता मिश्रा 

तुझ में अनुरत होकर

तुझ में अनुरत होकर
ढूँढ लिया तुझ को
हमने ख़ुद को खोकर

    -अमित खरे

आँखों में इक मंज़र

आँखों में इक मंज़र 
टूटा-फूटा सा 
जैसे कोई अंदर

    -उमेश मौर्य

मछली रानी बोली

मछली रानी बोली 
रंग बिरंगी हम 
जल में खेले होली  

    -अजय कनोडिया

इस जग में न्यारा है

इस जग में न्यारा है
जिस घर माँ रहती
वो ठाकुर द्वारा है

        -शशि पाधा

तू धीर ज़रा रखना

तू धीर ज़रा रखना
कुछ दिन बीतेंगे
भाएगा वो अँगना

        -शशि पाधा

बिधना का लेखा है

बिधना का लेखा है
कैसे समझाऊँ
हाथों की रेखा है 

    -शशि पाधा

2024-03-01

सूरज से प्रीति करे

सूरज से प्रीति करे
सूर्यमुखी इकटक
उसका ही दीद करे

-सुधा राठौर

माथे पर सलवट है

माथे पर सलवट है
चिन्ता के वश में
बापू की करवट है

-सुधा राठौर

बचपन रूठा जबसे

बचपन रूठा जबसे
निश्छल इक साथी
ढूँढे न मिला तबसे

-सुधा राठौर

बादल काका आओ

बादल काका आओ
गर्मी बहुत लगे
पानी बरसा जाओ  
            
-निवेदिता श्रीवास्तव

ओ नन्हे धान कुँवर

ओ नन्हे धान कुँवर
मेरा मूड नहीं 
रुक जा कुछ देर ठहर     
         
-मीनू खरे

मुझको कहते सनकी

मुझको कहते सनकी 
समझो कुछ बातें
तुम भी मेरे मन की!         
 
-मीनू खरे

क्या मन में बात कहो

क्या मन में बात कहो
प्यासा मन मेरा
पानी बन आज बहो 
         
-निवेदिताश्री 

आया जी लो आया

आया जी लो आया
झेलो अब वर्षा
जलमय होगी काया  
        
-निवेदिताश्री 

कुछ अजब तपन सी है

कुछ अजब तपन सी है
ऐसा क्यूँ लगता ?
भारी उलझन सी है!

-आभा खरे

जंगल धूँ-धूँ जलता

जंगल धूँ-धूँ जलता 
छूटा घर अपना 
कोई वश ना चलता

-आभा खरे

माना ग़लती उनकी

माना ग़लती उनकी 
कैसे जियूँगा जो 
बूँदे न मिलीं जल की  
               
    -मीनू खरे

गर फूलों से यारी

गर फूलों से यारी
सहनी पड़ती है
काँटों की दुश्वारी

-सुधा राठौर

कण्डे सुलगाती है

कण्डे सुलगाती है
सर्दी में माई
लिट्टी महकाती है

    -सुधा राठौर

शर्मीली गोरी है

शर्मीली गोरी है
नीले नयनों में
लज्जा की डोरी है

-शशि पाधा

नयनों में आँज लिये

नयनों में आँज लिये
प्रीत भरे आखर
गजरे में बाँध लिये

-शशि पाधा

खुशबू सौगात हुई

खुशबू सौगात हुई
धरती अम्बर में
फूलों की बात हुई

-शशि पाधा

पुरवा कुछ लाई है

पुरवा कुछ लाई है
पंखों से बाँधी
इक पाती आई है

-शशि पाधा

अब कैसे पहचानूँ

अब कैसे पहचानूँ
बरसों देखा ना
अब आओ तो जानूँ

-शशि पाधा

ये किसकी आहट है

ये किसकी आहट है
द्वारे खोल खड़ी
मिलने की चाहत है

-शशि पाधा

रंगों के मेले में

रंगों के मेले में
आँखें ढूँढ़ रहीं
चुपचाप अकेले में

-शशि पाधा

कोयल से पूछ ज़रा

कोयल से पूछ ज़रा
तेरे गीतों में
क्यों इतना दर्द भरा

-शशि पाधा

वासंती रुत आई

वासंती रुत आई
पाहुन आयो ना
मन-बगिया मुरझाई

         -शशि पाधा

कँगना कुछ बोल गया

कँगना कुछ बोल गया 
साँसें मौन रहीं
तन मन कुछ डोल गया 

-शशि पाधा

2024-01-16

ना मैं इतराता हूँ

ना मैं इतराता हूँ 
बेबस हूँ कितना 
तुमको बतलाता हूँ
           
    -मीनू खरे

2024-01-08

अब बात बना ना यूँ

अब बात बना ना यूँ
इतनी प्यारी थी
परदेस भिजाई क्यूँ

-शशि पाधा

तू प्यारी प्राणों से

तू प्यारी प्राणों से
बिटिया पाई है
हमने वरदानों से

-शशि पाधा

यह कैसा नाता है

यह कैसा नाता है
सुख दुःख दोनों में
दिल माँ ही कहता है

-शशि पाधा

बदरी छा जाती है

बदरी छा जाती है
सावन में बिटिया
माँ के घर आती है

            -अमिषा अनेजा

गर मैं उड़ जाऊँगा

गर मैं उड़ जाऊँगा
तरसेगी जल को
पास नहीं आऊँगा
         
        -अचला झा

जी भर के जिया तुमको

जी भर के जिया तुमको
कोई शिकवा नहीं
अब विदा किया तुमको

            -डा० कमला सिंह

भूखा ही यह जाने

भूखा ही यह जाने
रोटी की खुशबू 
लगती है बहकाने 

         -मीतू कानोडिया 

मिट्टी तो पुरानी है

मिट्टी तो पुरानी है
खाद मिला इसमें
नई फसल उगानी है

              -डा० कमला सिंह

कुहरे के आँचल में

कुहरे के आँचल में
अलसाया सूरज
दुबका है बादल में 

          -सुधा राठौर

नववर्ष सुहाना है

नववर्ष  सुहाना  है
हों शुभ संकल्पित 
लक्ष्यों को पाना है 

            -मीतू कानोडिया

लो वर्ष नया आया

लो वर्ष नया आया
धुंध परे करके
सूरज फिर मुस्काया 

         -सुधा राठौर

ठिठुराते अंचल में

ठिठुराते अंचल में
क्या ये साल नया
सोचे मन चंचल में?

         -प्रीति गोविंदराज

क्यों देरी से जागे

क्यों देरी से जागे
ठंडी में सूरज
जल्दी सोने भागे

          -सुधा राठौर

दिन वर्ष भले बढ़ते

दिन वर्ष भले बढ़ते 
अनुभव यात्रा के 
अध्याय नये जुड़ते  
        
          -मीतू कानोडिया

2023-12-29

बरसा झम झम बरसे

बरसा झम झम बरसे 
सागर राह तके 
नदिया क्यों तू तरसे 

-सोनम यादव

बाबुल तेरा जाना

बाबुल  तेरा जाना 
भूल गए बचपन 
भूले हैं मुस्काना

-सोनम यादव

जब हम मुस्काते हैं

जब हम मुस्काते हैं 
हमसे हैं मौसम 
हम बादल लाते हैं

  -सोनम यादव

हम प्रेमी परवाने

हम प्रेमी परवाने 
जीवन दे करते 
उपकार न तू जाने

-सोनम यादव

जंगल घबराए हैं

जंगल घबराए हैं 
दूर हुए हमसे 
इंसाँ बौराए हैं

-सोनम यादव

महिमा गुरु की न्यारी

महिमा गुरु की न्यारी 
नित रोपें पौधे
खिलती है तब क्यारी 

-सोनम यादव

हम माटी गुरु चंदन

हम माटी गुरु चंदन 
शीश नवा कर हम
करते उनका वंदन

-सोनम यादव

संतोष परम धन है

संतोष परम धन है
जग सारा  नश्वर 
माटी का ये तन है

-सोनम यादव

प्रभु का कर लें वंदन

प्रभु का कर लें वंदन
जीवन माटी है
सुमिरन उसका चंदन

-सोनम यादव

नित पाठ नया सीखें

नित पाठ नया सीखें
उर में ज्ञान भरें 
लेखन में दम दीखे

-सोनम यादव

छिन पल बदले जीवन

छिन पल बदले जीवन
भाव नये लेकर
अँखिया करती नर्तन 

-सोनम यादव

बरखा बरसो धीरे

बरखा, बरसो धीरे 
प्यासा सारा जग 
मिलना पनघट तीरे 

-सोनम यादव

पनघट पर पनिहारी

पनघट पर पनिहारी
जल भरने आयी
पनघट पर मन हारी

-सोनम यादव

मेघा झम झम बरसे

मेघा झम झम बरसे 
सागर राह तके 
नदिया क्यों तू तरसे 

-सोनम यादव

कुछ ऐसे दीप जलें

कुछ ऐसे दीप जलें
अंतस तम छूटे 
सब मिलकर साथ चलें

-सोनम यादव

हम दिल से मिलते हैं

हम दिल से मिलते हैं 
वादे फूलों से 
यादों में खिलते हैं 

-सोनम यादव

जादू कैसा डाला

जादू कैसा डाला
मादक नयन लगें 
जैसे हों मधुशाला 

-सुरंगमा यादव

पीपल लहराता है

पीपल लहराता है
पत्ते हिला-हिला
जाने क्या गाता है

        -ईप्सा यादव

मेपल इतराता है

मेपल इतराता है
टहनी लहरा कर
मुझसे बतियाता है

        -ईप्सा यादव 

दीवारें बोल रहीं

दीवारें बोल रहीं
कान लगा के सुन
ये हमको तोल रहीं

-अविनाश बागड़े

ईंटा गारा पानी

ईंटा गारा पानी
घर तेरा मेरा 
दीवारें-छत-छानी

-अविनाश बागड़े

मत कर आना-कानी

मत कर आना-कानी
वक्त घड़ी भर का
दो दिन की जिंदगानी 

-सोनम यादव

बादल घिर आये हैं

बादल घिर आये हैं
भर-भर कर मटकी
जल लेकर आये हैं।

-डा० जगदीश व्योम

अब आन मिलो सजना

अब आन मिलो सजना
तुम बिन भूल गये
कँगना चूड़ी बजना

-सुधा राठौर

था दूर बहुत खाना

था दूर बहुत खाना 
आयी उड़-उड़कर 
लाई ढेरों दाना

               -आशा मोर

पल भर मन खुश होता

पल भर मन खुश होता
पर अगले ही पल
अवसाद जकड़ लेता

-अमित खरे

जो वज़न बढ़ा आये

जो वज़न बढ़ा आये
थोड़ा सबर करो
शायद अब घट जाए

-डॉ. रेशमा हिंगोरानी

तेरा जब संग मिलता

तेरा जब संग मिलता
कोमल तन मेरा
मुस्कान लिए खिलता

-बुशरा तबस्सुम

तू भी है मतवाला

तू भी है मतवाला 
बैन रसीले हैं 
छलका मधु का प्याला

-आभा खरे

कारे धुँधुआरे हैं

कारे धुँधुआरे हैं
हलधर को बदरा
प्रानों से प्यारे हैं

            -अमिषा अनेजा

2023-11-23

मन क्यूँ भरमाया है

मन क्यूँ भरमाया है
अपने सपने से 
जो नेह लगाया है 

-सोनम यादव

कहना सुन ओ! बच्चे

कहना सुन ओ! बच्चे
कुछ दिन रुक जा तू
हैं 'पर' तेरे कच्चे

-आभा खरे

हम उमड़े आए हैं

हम उमड़े आये हैं
झोली में अपनी
जीवन जल लाये हैं

-अमिषा अनेजा

जंगल है इक प्यारा

जंगल है इक प्यारा
अनगिन पेड़ यहाँ
चिड़ियों का अँगनारा
 
-मधु गोयल

माँ थपकी दे दो ना

माँ थपकी दे दो ना
नींद नहीं आती
इक लोरी गाओ ना!

-मधु गोयल

डरने की बात नहीं

डरने की बात नहीं
सबके जीवन में
दिन भी है, रात कहीं

-डॉ. रेशमा हिंगोरानी

2023-08-04

सावन झूमे बरसे

सावन झूमे बरसे
तन को सुलगाए
मन विरहिन का तरसे

-जयंती कुमारी

जल्दी घर को जाऊँ

जल्दी घर को जाऊँ
भूखे हैं बच्चे
पंखों में गति लाऊँ

-आभा खरे

तुम निकट नहीं आना

तुम निकट नहीं आना
प्रीत अगन ऐसी
पड़ता है जल जाना

-सुधा राठौर

मेघा तुम आ जाओ

मेघा तुम आ जाओ
बालक हम छोटे
पानी बरसा जाओ     

-अमिषा अनेजा 

भर-भर आती आँखें

भर-भर आती आँखें
उड़ना  ही  होगा
छूटेंगी ये शाखें 

-आशा पांडेय

2023-08-03

माँ गंगा की धारा

माँ गंगा की धारा 
बूँद-बूँद छलके 
जीवन का उजियारा

-सोनम यादव

संदेश हवा लाये

संदेश हवा लाये
उनके आँगन की
खुशबू बिखरा जाये

-प्रीति गोविन्दराज

धरती से रवि बोला

धरती से रवि बोला
तुझसे क्या नाता
ना समझा मैं भोला

-सुधा राठौर

दूँगी सबको दाना

दूँगी सबको दाना
भूख लगी तुमको
हाँ, मैंने ये माना

-आभा खरे

2023-08-02

दुनिया के मेले में

दुनिया के मेले में
लाखों लोग मिलें
पड़ना न झमेले में 

-अन्नदा पाटनी

उनका आना ऐसे

उनका आना ऐसे
मन के आँगन में
हों फूल खिले जैसे

-डा. राम कुमार माथुर

देहों के रिश्ते हैं

देहों के रिश्ते हैं
आज नहीं तो कल
आँखों से रिसते हैं

-निवेदिताश्री  

2023-08-01

माहिया

                             माहिया

माहिया पंजाबी का लोक-प्रचलित शृंगार तथा करुण रस से ओतप्रोत लोकगीत है. शृंगार के विरह-पक्ष की इसमें मार्मिक अनुभूति मिलती है. पंजाबी शिष्ट साहित्य के ऊपर भी इस लोक-परम्परा की रचना का यत्र-तत्र प्रभाव दिखाई देता है.

–माहिया में हाइकु कविता की तरह ही तीन पंक्तियाँ होती हैं.
 पहली पंक्ति में 12 मात्राएँ दूसरी पंक्ति में 10 मात्राएँ और तीसरी पंक्ति में 12 मात्राएँ रहती हैं.

– हाइकु में वर्ण या अक्षर गिने जाते हैं लेकिन माहिया में मात्राएँ गिनी जाती हैं.

– माहिया पंजाबी लोक जीवन का बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय गीत है, माहिया सम्पूर्ण कविता है.

पंजाबी से जब माहिया अपनी लोकप्रियता के कारण बाहर निकल कर दूसरे प्रदेशों में पहुँचा तो उसके कथ्य में भी विस्तार हुआ जो स्वाभाविक ही है, अर्थात माहिया में अब शृंगार और करुणा के साथ साथ कविता के वे अन्य कथ्य भी समाहित हो गये हैं जो अन्य विधा की कविताओं में उपस्थित रहते हैं.

माहिया लोकगीत है, लोक से जुड़ा हुआ है इसलिए इसे लिखना भी सहज है, जो लोक से जुड़ा है, लोक का आदर करता है, लोक को समझता है.. … जिसके पास सहज भाषा है उसके लिए माहिया लिखना बातचीत करने जैसा है. जब हम बातचीत करते हैं तो भाषा सहज होती है, किसी तरह की कोई बनावट के लिए वहाँ स्थान नहीं होता है.

माहिया प्रियजन से बातचीत करने की बहुत प्यारी काव्य विधा है जिसे लोक-समाज ने सैकड़ों वर्ष में तराशा है, इसमें भाषा बोलचाल की ही रहे तभी माहिया का वास्तविक आनन्द है| 
नारी को समाज ने बोलने का अवसर दिया ही कहाँ…. वह तो थोड़ा बहुत जब कभी बोल सकी है तो केवल लोकगीतों में ही बोली है, माहिया भी उसी पीड़ा की कसक से उपजा लोकगीत है.

कोशिश करें कि सहज भाषा में बतियाते हुए माहिया लिखने की कोशिश करें… उस भाषा में, जिसमें हम बात करते हैं, जैसे हम बात करते हैं… उसी तरह से लिखें.

-डाॅ० जगदीश व्योम

हिम्मत ना हारेंगे

हिम्मत ना हारेंगे
नीड़ नया फिर से
हम मिल के बनाएँगे

-मधु गोयल

माँ अब तक ना आयी

माँ अब तक ना आयी
कूद रहे चूहे!
है भूख लगी भाई

-मधु गोयल

2023-07-31

वो भी दुख ढोता है

वो भी दुख ढोता है
बारिश के ज़रिये
ईश्वर भी रोता है

-लक्ष्मी शंकर वाजपेयी

2023-07-30

गाढ़ी हरियाली है

गाढ़ी हरियाली है
बरखा झूम रही
होकर मतवाली है

-आशा पांडेय

2023-06-02

खेती बागानों में

खेती बागानों में
लेती अँगड़ाई
धानी परिधानों में

-शिव मोहन सिंह

दुख आकर ठहरा है

दुख आकर ठहरा है
भीगी पलकों का
बातों पर पहरा है

-शिव मोहन सिंह

माँ की अँगनाई में

माँ की अँगनाई में
पंछी-सी उड़ती 
बिटिया पुरवाई में
   
 -आशा पांडेय

रिमझिम रिमझिम बूँदें

रिमझिम रिमझिम बूँदें
चाह यही होगी
तपते मन को छू दें

-आनन्द पाठक

मन का आँगन महके

मन का आँगन महके
आने से तेरे
दिल पायल-सा खनके

-मधु गोयल

मक़सद हो जीने का

मक़सद हो जीने का
सूरज जब निकले
हर घूँट को पीने का

-डॉ. रेशमा हिंगोरानी

मत नींद की फ़िक्र करो

मत नींद की फ़िक्र करो
अपने काम करो
बातों से नहीं डरो

-डॉ. रेशमा हिंगोरानी

हलधर का श्रम चमके

हलधर का श्रम चमके
बादल तू बरसे
माटी का मन महके

-अमिषा अनेजा

मैं बादल मतवाला

मैं बादल मतवाला
समझो न मुझको
बिल्कुल भोला-भाला

-अचला झा

बाली क्यों इतराए

बाली क्यों इतराए
पानी मैं देता
तब ही तू लहराए

-अचला झा

खेतों की हरियाली

खेतों की हरियाली
तुम न अगर बरसो
कैसे हो खुशहाली!            

-अमिषा अनेजा 

माँ भूख लगी भारी

माँ भूख लगी भारी
पहले मुझको दे
फिर मिक्की की बारी

-मधु गोयल

जाओ दाना चुगने

जाओ दाना चुगने
फ़िक्र करो ना माँ
देंगे ना घर घुसने

-मधु गोयल

दुश्मन डाले डेरा

दुश्मन डाले डेरा
शातिर गिद्धों का
जंगल में है फेरा

-आभा खरे

अब देंगे छोड़ नशा

अब देंगे छोड़ नशा
बिटिया की खातिर
घर आँगन आज हँसा 

-त्रिलोचना कौर

इतना न घमण्ड करो

इतना न घमण्ड करो
गुण-अवगुण सब में
ईश्वर से तनिक डरो 

-अमित खरे

कर वादा एक अभी

कर वादा एक अभी
दारू गुटका को
छूएगा नहीं कभी     
      
-निवेदिताश्री  

आये तेरे द्वारे

आये तेरे द्वारे
रब के जैसा तू
हम जीवन से हारे 

-त्रिलोचना कौर 

रब पर विश्वास करो

रब पर विश्वास करो
दूत उसी के हम
सच्ची तुम आस धरो
              
-निवेदिताश्री


माना तू है ज्वाला

माना तू है ज्वाला
सहनशक्ति मुझ में
मैंने खुद को ढाला

-रीमा दीवान चड्ढा

तुम भूल नहीं जाना

तुम भूल नहीं जाना
देने लेने की
यह रीत निभा जाना

-सुधा राठौर  

चोला यह अति न्यारा

चोला यह अति न्यारा
सारे ग्रह फीके
इकलौता तू प्यारा

-सुधा राठौर

क्यों चन्दा इठलाता

क्यों चन्दा इठलाता
मुझसे ही रौशन
वो ग्रहण लगा जाता

-सुधा राठौर

दिल मेरा जलता है

दिल मेरा जलता है
अपनी ज्वाला से
हर वक़्त दहकता है

-सुधा राठौर

चहुँ ओर सदा मेरे

चहुँ ओर सदा मेरे
हर इक पल हर छिन
क्यों करती हो फेरे

-सुधा राठौर

2023-06-01

कुछ देर अँधेरा है

कुछ देर अँधेरा है
धीर न खोना मन
उस पार सवेरा है

-विद्या चौहान

नभ की सुर्खी कम है

नभ की सुर्खी कम है
ठिठुर रहे पाखी 
सूरज भी मद्धम है

-मीतू कानोडिया 

मदमाते प्याले हैं

मदमाते प्याले हैं
नयनों की चितवन
सब बरछी-भाले हैं

-योगेन्द्र वर्मा

बच्चों की किलकारी

बच्चों की किलकारी 
निश्छल ज्यूँ गंगा  
हर्षाती मन क्यारी 

-ममता शर्मा

चहुँ ओर अँधेरा है

चहुँ ओर अँधेरा है
धरती को फिर से
कुहरे ने घेरा है
     
-रामसागर यादव  

सूने से पनघट हैं

सूने से पनघट हैं
बिन कान्हा के अब
रीते यमुना तट हैं
           
-रामसागर यादव

पुरखों का लेखा है

पुरखों का लेखा है
कर ले आज अभी
कल किसने देखा है

-रामसागर यादव

ये प्रीत अनोखी है

ये प्रीत अनोखी है
तुझसे ही सजना
मुझमें भी शोखी है

-रीमा दीवान चड्ढा

तुम सुबह जगाते हो

तुम सुबह जगाते हो
मेरी गलियों में
क्यों तुम आ जाते हो

-रीमा दीवान चड्ढा

हो तुम तो मतवाले

हो तुम तो मतवाले
मेरे जीवन के
पर तुम ही रखवाले 

-रीमा दीवान चड्ढा

सुन्दर जग देखें तो

सुन्दर जग देखें तो
नील गगन में माँ
कुछ हम भी चहकें तो 

-मधु गोयल

थोड़ा तो जाने दे

थोड़ा तो जाने दे
मिलकर मित्रों से
कुछ जी बहलाने दे

-मधु गोयल

दाना चुगने जाती

दाना चुगने जाती
बाहर मत जाना
मैं जब तक ना आती!

-आभा खरे

माँ शोर मचाये क्यूँ ?

माँ शोर मचाये क्यूँ ?
सोने दे थोड़ा
यूँ सुबह जगाये क्यूँ ?

-मधु गोयल

उठ जा अब भोर हुई

उठ जा अब भोर हुई
बाहर देख ज़रा
रौनक चहुँ ओर हुई

-आभा खरे

इक नीड़ बना प्यारा

इक नीड़ बना प्यारा
बिस्तर पत्तों का
सूरज का उजियारा

-आभा खरे

चुन-चुन के लाती है

चुन-चुन के लाती है
चिड़िया तिनकों से
घर अपना बनाती है

-मधु गोयल

गीतों में, सोहर में

गीतों में, सोहर में
गूँजी चीं चूँ चीं
पेड़ों के कोटर में 

-आभा खरे

2023-05-31

धुन बाजे रागों की

धुन बाजे रागों की
बुनती जब लहरें
झालर ये झागों की

-प्रीति गोविंदराज

लौ देखूँ चाहत की

लौ देखूँ चाहत की
आँखों में उनके
लूँ साँसें राहत की

-प्रीति गोविंदराज

दोनों पलड़े भारी

दोनों पलड़े भारी
पी-घर या पीहर
किस ओर झुके नारी!

-प्रीति गोविंदराज

आवारा तुम फिरते

आवारा तुम फिरते
हमसे सीखो जो 
औरों का हित करते

-प्रीति गोविन्दराज

2023-05-30

है तू मेरा माही

है तू मेरा माही
संग चलूँ तेरे
मैं बनकर हमराही

-सुधा राठौर

बरसूँगा इसी पहर

बरसूँगा इसी पहर 
परसेगी बरखा 
मुस्का दो धान कुँवर

-मीनू खरे

2023-03-28

मन क्यों मतवाला है

मन क्यों मतवाला है?
आज फोन आया
वो आने वाला है!

-अशोक शुक्ल

2023-01-30

नववर्ष पधारा है

नववर्ष पधारा है
पवन बसंती ने 
फूलों से सँवारा है

-सोनम यादव

गुलज़ार करें गुलशन

गुलज़ार करें गुलशन 
जूही-बेला सी
बिटियाँ होतीं चंदन 

-सोनम यादव

रंगोली सी महके

रंगोली-सी महके 
घर में आँगन में 
जब तक बिटिया चहके 

-सोनम यादव

बेटी है मनभावन

बेटी है मनभावन 
पुरवा सावन की 
पूजा-सी है पावन

-सोनम यादव 

पनघट पर सखियाँ हों

पनघट पर सखियाँ हों 
कानाफूसी में 
साजन की बतियाँ हो

-सोनम यादव

अभियान माहिया का

अभियान माहिया का 
कितना रंगीला
परिधान माहिया का

-सोनम यादव

अभियान माहिया का

अभियान माहिया का
हर दिल ढूँढ रहा 
सामान माहिया का

-सोनम यादव

ये पँचरंगी बाना

ये पँचरंगी बाना
काहे मान करे 
इसको है गल जाना

-सोनम यादव

माटी के पुतले की

माटी के पुतले की
कीमत है कितनी 
इस कोठी बँगले की

-सोनम यादव