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2024-06-17

ये बाग-बगीचे हैं

ये बाग-बगीचे हैं
खून बहा कर के
पुरखों ने सींचे हैं

-हरीन्द्र यादव

माँ की खातिर मरते

माँ की खातिर मरते
वीर शहीदों को
कर जोड़ नमन करते

-हरीन्द्र यादव 

सब रिश्ते भूल गये

सब रिश्ते भूल गये 
भारत माँ खातिर
फाँसी पर झूल गये

-हरीन्द्र यादव