स्कूल माहिये का
हमको सिखलाता
जीवन दो पहिये का
-डॅा. जगदीश व्योम
सोना बनकर तपती
निखर रही हर पल
नारी-सी है धरती
-सुषमा चौरे
सच हारेगा कैसे ?
हारे झूठ सदा,
ऐसे या फिर वैसे
-अमित खरे
सपनों के गाँव-गली
पलकों को मींचे
निंदिया की नाव चली
-आभा खरे
सावन का महीना है
झूले के ऊपर
इक शोख़ हसीना है
-रेखा राजवंशी
सब सुख मंगल छाये
माता से मिलने
गणपति थे घर आये!
-मधु गोयल
सरदी का अंत हुआ
सब्ज़ पलाशों पर
असवार बसंत हुआ
-अमित खरे
संदेशे जो लाएँ
सुखद हवाएँ वो
मन शीतल कर जाएँ
-शर्मिला चौहान
सावन को जाने दो
तुम तो रुक जाना
त्योहार मनाने दो
-शशि पाधा
सूनी-सूनी रातें
याद बहुत आए
बातों की बारातें
-सुधा राठौर
सावन घर आया हैं
थैंला बूँदों का
काँधे रख लाया हैं !
-त्रिलोचना कौर
सावन के ये झूले
याद दिलाते हैं
लम्हे जो हम भूले
-योगेन्द्र वर्मा
सुनने दो कहने दो
जख्मों पर मरहम
बातों की रखने दो
-शिव मोहन सिंह
साँसों की मणिमाला
आकर पल में ही
तोड़े यम मतवाला
-सुधा राठौर
सूरज जब आता है
वसुधा पर मेरी
खुशहाली लाता है
-अविनाश बागड़े
सखियाँ मारें ताना
हाय,सहूँ कैसे
सावन का बौराना
-सुधा राठौर
सारी खेती बाड़ी
मेघ नहीं आए
लो चूक गई गाड़ी
-अविनाश बागड़े
सूरज से प्रीति करे
सूर्यमुखी इकटक
उसका ही दीद करे
-सुधा राठौर
संतोष परम धन है
जग सारा नश्वर
माटी का ये तन है
-सोनम यादव
सावन झूमे बरसे
तन को सुलगाए
मन विरहिन का तरसे
-जयंती कुमारी