नि: स्वार्थ भाव से एक चक्रीय आदान-प्रदान करने वाला पागल सा ही तो होता है। अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया करता है। 'बादल', 'पागल' और 'छागल' शब्दों का बढ़िया सम्प्रेषणीय संयोजन। हार्दिक बधाई आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी।_ शेख़ शहज़ाद उस्मानी _ शेख़ शहज़ाद उस्मानी
बहुत सुन्दर माहिया अंशु जी
नि: स्वार्थ भाव से एक चक्रीय आदान-प्रदान करने वाला पागल सा ही तो होता है। अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया करता है। 'बादल', 'पागल' और 'छागल' शब्दों का बढ़िया सम्प्रेषणीय संयोजन। हार्दिक बधाई आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी।
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