2024-03-10

है कौन यहाँ अपना

है कौन यहाँ अपना
जगने पर देखा
सब है झूठा सपना

        -हंस जैन

1 comment:

  1. व्यापक भाव निहित है इसमें एक आम किंतु अहम पीड़ा/करुणा का। अपनों और ग़ैरों में से हक़ीक़त में अपना सा कौन है? महत्वाकांक्षा, स्वप्न, उम्मीद एक तरफ़ है, तो निराशा, झूठ और वास्तविकता दूसरी तरफ़। बढ़िया माहिया कविता हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय हंस जैन साहिब।

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