जी, नम ऑंखों और मूक ज़ुबाॅं से ही सपनों और बाधाओं की अभिव्यक्ति हो जाया करती है। 'सुख' ऐसा ही एक सपना है। बढ़िया सारगर्भित रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव जी।_ शेख़ शहज़ाद उस्मानी, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
जी, नम ऑंखों और मूक ज़ुबाॅं से ही सपनों और बाधाओं की अभिव्यक्ति हो जाया करती है। 'सुख' ऐसा ही एक सपना है। बढ़िया सारगर्भित रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव जी।
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