2024-03-11

आँसू बन कर फूटे

आँसू बन कर फूटे 
नाज़ुक लम्हें थे 
हाथों से जो छूटे !

        -आभा खरे

2 comments:

  1. Anonymous6:09 PM

    आहा (रूबी)

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  2. बहुत सुंदर माहिया!

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