आरंभिक पंक्ति में 'सरसों का ॲंगड़ाना' शब्द -चलचित्र पेश करता है, तो दूसरी पंक्ति में 'टोना मारना' मुहावरे का बेहतरीन सम्प्रेषणात्मक बंध-प्रयोग 'कोयलिया' की प्रभावोत्पादक कूक के लिए। इस तरह यह माहिया कविता एक उत्कृष्ट प्राकृतिक दृश्य के शृंगार को प्रस्तुत करती है विधागत। यह रचना हम विद्यार्थियों के लिए एक सबक़ है लोक विधा माहिया की शक्ति को समझने और रचनाकर्म में अपनाने हेतु। हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय गुरुजी। _ शेख़ शहज़ाद उस्मानी, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
आरंभिक पंक्ति में 'सरसों का ॲंगड़ाना' शब्द -चलचित्र पेश करता है, तो दूसरी पंक्ति में 'टोना मारना' मुहावरे का बेहतरीन सम्प्रेषणात्मक बंध-प्रयोग 'कोयलिया' की प्रभावोत्पादक कूक के लिए। इस तरह यह माहिया कविता एक उत्कृष्ट प्राकृतिक दृश्य के शृंगार को प्रस्तुत करती है विधागत। यह रचना हम विद्यार्थियों के लिए एक सबक़ है लोक विधा माहिया की शक्ति को समझने और रचनाकर्म में अपनाने हेतु। हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय गुरुजी।
ReplyDelete_ शेख़ शहज़ाद उस्मानी, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
बहुत सुन्दर सर
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