सुख और दुख के स्वाभाविक चक्र में ख़ुशी (सुख) सदैव स्थायी नहीं होती। एक सत्य बाख़ूबी माहिया कविता में पिरोया गया है। हार्दिक बधाई आदरणीया किरण सिंह जी।_ शेख़ शहज़ाद उस्मानी, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
सुख और दुख के स्वाभाविक चक्र में ख़ुशी (सुख) सदैव स्थायी नहीं होती। एक सत्य बाख़ूबी माहिया कविता में पिरोया गया है। हार्दिक बधाई आदरणीया किरण सिंह जी।
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