2024-03-22

गेंहूँ गदराया है

गेंहूँ गदराया है
बालीं थिरक रहीं
फागुन बौराया है

       -डा० जगदीश व्योम 

3 comments:

  1. बेहतरीन सम्प्रेषण। हार्दिक बधाई आदरणीय गुरुजी। यहां
    तुकांत 'गदराया/बौराया/' 'राया' दोहरा सकते हैं इस तरह? समझना चाहूंगा।🙏

    ReplyDelete
  2. Anonymous8:19 PM

    अद्वित्य अनुपम प्रकृति का सजीव चित्रण, ऐसा लगता है मानों खेत में लहलाती बालियों को स्पर्श ही कर रहे हैं 👌👍🙏(हंस जैन )

    ReplyDelete
  3. Anonymous9:44 PM

    शानदार माहिया सर

    ReplyDelete