समसामयिक बहुत बढ़िया सृजन। तुकांत के साथ-साथ यदि पंक्ति का आरंभिक अक्षर या शब्द भी तुकमय हो जाता है तो रचना गायन और पठन में सौंदर्य बढ़ जाता है। तुकांत के पहले वाले शब्द की अंतिम मात्रा में भी साम्य है। बहुत ख़ूब। हार्दिक बधाई आदरणीया किरन सिंह जी। - शेख़ शहज़ाद उस्मानी, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
बढ़िया
ReplyDeleteसमसामयिक बहुत बढ़िया सृजन। तुकांत के साथ-साथ यदि पंक्ति का आरंभिक अक्षर या शब्द भी तुकमय हो जाता है तो रचना गायन और पठन में सौंदर्य बढ़ जाता है। तुकांत के पहले वाले शब्द की अंतिम मात्रा में भी साम्य है। बहुत ख़ूब। हार्दिक बधाई आदरणीया किरन सिंह जी।
ReplyDelete- शेख़ शहज़ाद उस्मानी, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)